जय हिन्द

Sunday, March 2, 2014

खुद से ही बेगाने हो गए हैं.



राहें गुम हो गई हैं या हम कहीं खो गए हैं.. 
ना जाने किसकी तलाश में फिरते हैं हम
हर लम्हा .....बेसुध से हो गए हैं..... 

चेहरे पे हंसी है आँखों में नमी है..... 
बस गुमसुम सी ये जिंदगी है 
हर आहट पर सिहर जाता है ये दिल, क्या से क्या हो गए हैं.…

इस मुकाम पर आयेंगे हम ये सोचा नहीं था..... 
अजनबी बन गए है ये रास्ते
दिल में एक टूटा सा अहसास लिए बेगाने से हो गए हैं..... 

कभी खुद पर नाज था, जीने का अंदाज था.…
आज बस बिखरे हर रंग हैं और कोई न संग है.…
खुद को खुदी में ढूंढ़ते हम
खुद से ही बेगाने हो गए हैं.








Tuesday, July 31, 2012

एक ख्वाहिश उसकी भी है...



एक खूबसूरत अहसास के साथ मन खो चला है...
आगे बढ़ चला है अनजाने एक सफ़र में...
एक नया सपना और एक उम्मीद है...
है कोई जो सिर्फ उसका है...
वो ही उसका आसमान और जमीं...
फिर भी क्यों है आँखों में नमी...

ख़ुशी तो है पर न जाने कुछ बेचैनी सी है
कुछ है जो अन्दर उलझी सी है
लाख चाहो पर गठान सुलझती ही नहीं...
वो है की खुद से बाहर निकलती ही नहीं...

एक सपना है जो उसने भी देखा है...
उसकी भी ख़ुशी है पर वो सपना भी उसका है...
हर बार दिल से उसके एक ही आह निकली है...
हर पल वो उसके साथ है लेकिन एक ख्वाहिश उसकी भी है....








Saturday, May 5, 2012

मैंने भी एक सपना देखा है...



कैसे कहूँ जो दिल में है...
डरती हूँ कही तुम रूठ ना जाओ...
कई बार कहने कि कोशिश कि तुमसे...
मगर हर बार लगा की तुम कह रहे हो ये ना हो सकेगा कभी...

तुम चली जाओ मुझसे दूर....
मैं भी रह लूँगा दूर तुमसे...
बस इसी डर से मै नहीं कह पायी तुमसे अपने मन की बात...
डर जाती थी तुम्हारी ख़ामोशी से इसलिए...
नहीं बयां कर पायी मैं अपने ज़जबात....

नहीं चाहती की हमारे बीच दूरियां आयें...
हम हर बात पर एक दूजे से खफा हो जाए...
ज़िन्दगी का सफ़र हो जायेगा हसीन अगर हम दोनों साथ मुस्कुराएँ...
जानती हूँ तुम्हारी कुछ जिम्मेदारियां हैं...चाहती हूँ तुम उनसे कभी जी ना चुराओ 
मै हर कदम पे साथ हूँ तुम्हारे....लेकिन मैंने भी एक सपना देखा है...
आसमां को कैद होते मेरी बाहों में देखा है...

चाहती हूँ बस तुम्हारा साथ... पूरे मन से जीना चाहती हूँ उस सपने को...
ये नहीं कहती कि तुम्हारे और मेरे रस्ते अलग हो जाएँ....
हम क्यों ना एक ही रास्ता अपनाए...
फ़र्ज़ तुम अपना भी निभाओ और साथ चलते चलते हम अपनी मजिल पा जाएँ...






Tuesday, May 1, 2012

क्या तुम वही हो....


तुम  वही हो जिसे दिल  ने चाहा था...
नजरों ने जिसे एक  ही झलक  में दिल  में उतारा था...

मिलती हूँ तुमसे तो हरपल  अहसास  यही होता है
तुम  होते हो कहीं और तुम्हारा दिल  कहीं होता है....

कहा था तुमने मैं वक्त  नहीं हूँ
जो बदल  जाऊंगा हर घड़ी... आज  थामा  है तेरा दामन  तो छुटेगा
ना ये कभी....

आज  मैं हूँ तुम्हारे साथ ... मगर लगता है की वो अहसास  सो गए हैं...
हम  क्यों एक  दायरे में सिमट  कर खो गए  हैं...

चाहती हूँ तुम  समझो  हर एक  ज़ज्बात  को
कहीं ऐसा ना हो, हम  किस्मत  के हाथों बंध  जाएँ...
तब  मैं तुम्हारे पास  रहूँ लेकिन  मेरी रूह रास्ते  में कहीं गुम  हो जाए ....


पल का हिसाब...



इसी उधेड़ बुन में कट रही है ज़िन्दगी अब तो....
किसी रोज तुम मिल जाओ राहों में गर...
हम लेगें हर एक पल का हिसाब तुमसे...
जब ज़िन्दगी से जाना ही था तुम्हें....
तो क्यों कर गए झुठे वादे हमसे...

Saturday, December 10, 2011

कांपती मेरी परछाई है...


आईने में आज खुद को देखा करते हैंतलाशते हैं वजूद अपनासोचते हैं कि चाहत आज कहां ले आई है...जहां दूर तक साथ बस तनहाई है...
नहीं पता था सपने रेत का कतरा हैंकभी भी किसी के हाथ नहीं आते...जो चल पड़ा है मेरे साथ वोअपना है या अंजान परछाई ...
खुशियां ही चाहती है जिंदगीपर करनी पड़ती है गम की बंदगीरौशनी की तलाश में निकली हूं जब कभी...क्यों मेरे साथ अंधेरों की राहजनी है...
आज कई पन्नों को पलटा मैंनेहर पन्ना एक नई कहानी बताता है..किस जगह पर आकर रूके हैं कदम मेरेजहां दूर तक बस मेरी ही रूसवाई है..
नहीं जानते थे कि दर्द फिर सहना होगाशर्तों के साथ हर मोड़ पर बढ़ना होगा...किश्तों में खत्म हो रही है ज़िंदगी किसी की...सिसकती है रूह और कांपती मेरी परछाई है...

Thursday, April 21, 2011

ये बातें...






कितनी सारी बातें है जो हम कहना चाहतें हैं...

कितनी सारी बातें है जो हम सुनना चाहतें हैं...


इन्ही सारी बातों के बिच एक ज़िन्दगी है....

जिसे बातों के साथ ही हम बुनना चाहते हैं...


कभी तो ये बातें अनकही बनकर एक ख्वाब की तरह ....

तो कभी तूफां की तरह किसी की ज़िन्दगी बहा कर ले जाती है...


बातें कभी मरहम बनती हैं...किसी की दुखती रगो पर....

तो कभी नक्श्तर बन दिल की गहरायियो में समां जाती हैं...


कभी तो ये बातें ही किसी के जीने का सहारा बनती हैं....

तो फिर कभी उसी पल में ज़िन्दगी के बिखर जाने का बहाना बनती है....


एक पल में किसी के लिए ख़ुशी है तो

किसी के लिए कभी ना ख़त्म होने वाला गम है ये बातें...

फिर क्यों ऐसा होता है अक्सर....

कही अनकही बातों के बिच ज़िन्दगी को एक अनसुलझा सवाल बना देती हैं...ये बातें...